कैसे करे लॉक डाउन में रक्षा बंधन की तैयारी
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कैसे करे रक्षा बंधन की तैयारी लॉक डाउन और कोरोना कल में जी आप सब लोग अच्छी तरीके से जानते होंगे की अभी कुछ दीन बाद राखी का त्यौहार आने बाला है पर अभी हमारे
देश मे कोरोना वायरस का असर कम नही हुआ है और इसी को ध्यन में रख कर सरकार आने बाले दिनों में लोक डाउन
बड़ा सकती है । तो ऐसे में बहने कैसे बाँधे राखी भाई की कलाई पर पर अब इस समस्या को हल कर दिया है। है।
पोस्ट ऑफिस ने हम आपको बताने जारहे है। पोस्ट ऑफिस की एक सुबिधा के बारे में तो चलिये शुरू करते हैं।
अब पोस्ट ऑफिस से भेजी जायगी रखी
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हम आपको बता दे की देश मे कोरोना वायरस अभी खतम
नहीं हुआ है और और इस खतरे को ध्यान में रख कर पोस्ट
ऑफिस ने यहां सुबिधा प्रदान की है। जो बेहेने घर से दूर है बो अपने भाईयों को पोस्ट ऑफिस के जरिये रखी भेज सकती है।
इस के लिये पोस्ट ऑफिस ने रक्षाबंधन पर बहनों का प्यार के तौर पर भाईयों की कलाई पर बांधी जाने वाली राखियों को समय पर पहुंचाने के लिए डाक विभाग तैयारी कर ली है।
विभाग ने राखियों के लिए अलग से लेटर बॉक्स लगा दिए हैं जिससे राखियों को अलग करने में कोई परेशानी न हो और समय पर उन्हें पहुंचाया जा सके।हालांकि इस बार पोस्ट ऑफिस में राखियों के लिए स्पेशल लिफाफे नहीं आए हैं। जिसके चलते गल्र्स को बाजार से ही लिफाफे खरीदकर राखियां पोस्ट करना होंगी।
भोपाल जबलपुर दिल्ली और देश के सभी पोस्ट ऑफिस पोस्टल डिविजन ने राखी के लिए बुकिंग सेवाएं शुरू की है। बहनें डाक विभाग के जरिए देश में ही नहीं, बल्कि करीब 45 देशों में भाई के लिए राखी भेज सकेंगी। पोस्टल डिविजन ने चंडीगढ़ के 43, मोहाली के 25 और रोपड़ के 27 पोस्ट ऑफिस में राखी मेल बुकिंग सेवा सुविधा शुरू की है। डाक विभाग सुनिश्चित करेगा कि रक्षाबंधन से पहले राखी डिलिवर हो। सीमित साधनों के साथ बड़े डाकघरों में अलग से बॉक्स और बैग की सुविधा प्रदान की जाएगी।
पोस्ट ऑफिस से किन किन माध्यमो से भेजे राखी
(1) स्पीड पोस्ट :स्पीड पोस्ट से राखी 2 से 3 दिनो मे बताये
गये पाते पर पहुच जाती है ।
(2) रजिस्ट्री पोस्ट : रजिस्ट्री पोस्ट से लग भाग उतना ही समय लगता हैं। परंतु अभी लॉक डाउन होने की वजह से सारी ट्रेने बंद है तो आपको राखी 25 जुलाई से ही भेजना चालू कर देना चाहिए ताकी राखी समय पर प्राप्त हो सके
क्यो मनाया जाता है रक्षा बंधन
पुराणों के अनुसार जो हम ने पाया बो इस प्रकार है।
पुराणों में लिखा है कि रक्षासूत्र यानी राखी का सबंध इन्द्र की पत्नी से है जिनका ना शचि हैं। कहानी के अनुसार देवलोक पर एक बार असुरों ने अक्रमण कर दिया। जिससे घबराकर देवराज इंद्र की रक्षा के लिए शचि ने कच्चे धागे को अभिमंत्रित करके श्रावण पूर्णिमा के दिन देवराज इंद्र की कलाई में बांध दिया। इसके बाद इंद्र ने असुरों को पराजित कर दिया। जिससे रक्षाबंधन पर्व की शुरूआत हुई। इस कहानी के अनुसार ये पर्व भाई बहन की ही नहीं है। इस पर्व पर कोई भी संबंधी रक्षा के लिए अपने सबंधी की कलाई पर राखी बांध कर उसकी रक्षा की कामना कर सकता है।
महाभारत मे भी रक्षा बंधन की एक कहानी प्रचलित है।
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माना जाता है महाभारत में शिशुपाल का पाप जब अधिक बढ़ गया तब भगबान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिये अपना सुदर्शन चक्र चलाया तब उनकी अंगुली में चोट लग गई थी। उस चोट को देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनकी चोट पर बांध दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने भी द्रौपदी से हर संकट की परिस्थिति में उनकी रक्षा करने का वादा किया और उन्हें अपने बहन बना लिया। जिस दिन यह प्रसंग हुआ था, उस दिन श्रवण मास की पूर्णिमा थी। तभी से इसी दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है और सभी बहनें 'द्रौपदी' की ही तरह अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई भी 'श्रीकृष्ण' की तरह ही बहनों की रक्षा का वचन देते हैं।
इतिहास के पनो में प्रचलित कहानी
रक्षा बंधन को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। जसे की रानी कर्मावती की ये कहानी एक हिन्दू रानी एक और मुसलमान शासक की है रानी कर्माबती ने कैसे अपनी और अपानी प्रजा की रक्षा के लिये एक मुसलमान शासक को रखी भेज कर भाई बनाया था बात मध्यकालीन युग की है। जब भारत देश में मुसलमानों और राजपूतो के बीज और बीच युद्ध चल रहा था, तब चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चितोड़ पर हमला कर दिया था हमले से बचने के लिये और अपनी प्रजा की रक्षा के लिये चितौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था। तभी से मनाया जता है रक्षा बंधन का त्योहार
केसी होना चाहिए रखी की थाली
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