good parenting कैसे करे अच्छी परवरिश

Good parenting  कैसे करे अच्छी परवरीश 
परवरीश अपने आप मे एक परिभाषा रखता है इंसान के बात
करने के तरीके से उस इंसान की परवरिस पालन पोषण का पता चलता है बच्चों की परवरीश माता पिता का परिचय देती है। परवरीश से ही एक नई सोच आती है ।परवरीश से एक राष्ट्र
का निर्माण होता है। अच्छे माता पिता बनकर ही हम और अच्छी परवरीश से हम देश को नई पीढ़ी नई सोच बाला युबा
दे सकते और राष्ट्र निर्माण में सहयोग प्रदान कर सकते हैं।
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम परवरीश के कुछ नये तोर तरीके सीखेगे क्यो की इस आधुनिकता बाले जमाने मे परवरीश करने के तौर तरीके बदल गये है।
Add caption
बालपन में मा के द्वारा परवरीश 
माँ को दुनिया मे सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है । माँ नही होती तो कुछ नही होता माँ ही एक बच्चे की परवरीश की पहली गुरु होती है और माँ ही बच्चे
की हर जरूरत को समझती है माँ को बच्चे की परवरीश करते समय किन बातों का रखना चाहिए ध्यान 
(1)शिशुओं और छोटे बच्चों के साथ जितना हो सके समय बिताये नटखट खेल  खेलें, प्यार करें, बातें करें, हँसें और गाएँ। लोरियां सुनाए 
देश प्रेम की बाते करे कहानियां किसे सुनाए ज्ञान भारी बातो का  घर मे माहौल
बनाये 
(2) छोटे बच्चे जल्दी सीखते हैं: चलना, आवाज़ें निकालना, खाना और पीना। उनकी मदद करें, लेकिन उन्हें  कभी अकेला  न छोड़े क्यो की अभी वह आसानी से बोल नही सकता अपनी बाते आप को बता नही सकता है इस लिये उस के आस पास ही सदा मौजूद रहे ताकी जब भी उस को आपकी जरूरत हो आप बच्चे के पास हो 
(3)छोटे बच्चे अपने आसपास के लोगों  की नकल करते हैं। आस पास होने बाली घटनाओं को देखते है और फिर वही सीखते हैं। इस लिऐ घर मे एक शांति पूर्ण माहौल तैयार करे अपनी देखभाल करें, उनके आसपास अच्छी तरह से व्यवहार करें और उन्हें अच्छे तरीके दिखाएं।
(4) जब छोटे बच्चे रोते हैं, तो उसका कोई कारण (भूख, भय, दर्द) होता है। इस का कारण पता लगाने की कोशिश करें।और उनकी मदद करे
(5)बीमारियों को रोकने में मदद करें  समय समय पर परिबरिक डॉक्टर से  सलाह ले बच्चों की बीमारियों का चेकप टेस्ट कराये।
बच्चों की  परवरीश में अच्छी आदतें सिखाएं 

                                                      Add
माँ को अपने बच्चे को कुछ अनुसासन बाली बाते बताना चाहिए
(1) रोज सुबह जल्दी उठना चाहिये
(2)सुबह जल्दी उठ कर ब्रश करना चाहिए
(3)घर के बड़े लोगों को नमस्कार करना
(4) हर दिन नहाने को बोलना चाहिए
(5)अपनी चीजो को व्यवस्थित करना सिखये
(6 ) प्रति दिन स्कुल जाने को बोलना चाहिए
(7)घर के काम काज में आपका हाथ बाटने को बोलो
(8) जिद न करे आपका बच्चा इस बात का ध्यान रखे
(9) बच्चों को किस चीज की जरुरत है इस बात का ध्यान रखें
(10) बचाओ की मन की बात आपको पता होना चाहिए
परवरीश में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका


पिता को अपने वंश की आधुनिकता  भावनात्मक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने की चुनौती का सामना करना पड़ता है। हर बच्चे की तरह, हर पिता अलग- अलग होते है। हालांकि, सभी अच्छे पिता कुछ आवश्यक गुण साझा करते हैं जो उनके बच्चों को जिम्मेदार वयस्कों में विकसित करने में मदद करते हैं। प्रभावी माता-पिता सभी विशेष रूप से उदाहरण के द्वारा अपने बच्चों को सीधे और परोक्ष रूप से सिखाते हैं। अच्छे शिष्टाचार, सम्मान और मित्रता सहित, उन गुणों को मॉडल करें जिन्हें आप अपने बच्चे को सीखना चाहते हैं। स्पष्ट नियम निर्धारित करें और उन्हें लागू करें।पिता को याद रखने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं होती है. मां की तरह बच्चे की परवरिश में पिता की भूमिका काफी अहम होती है. बच्चे के लालन-पालन में मां की सक्रिय भूमिका होती है लेकिन बच्चे की परवरिश को सही दिशा एक पिता ही देता है। मां बच्चों को संस्कार देती है लेकिन नैतिकता और अच्छे व्यक्तित्व का पाठ एक पिता ही बच्चों को देते हैं। 
Add
पिता का मूल कर्त्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके बच्चे को जिम्मेदारी।  को अच्छी तरह से पालन  करने वाले और मिलनसार युवा बनना होता है। ज्ञान में वृद्धि करें, जो सीमाओं से अवगत हो, सही और गलत के बीच का अंतर जानें और विभिन्न स्थितियों में उचित रूप से आपनी भावनाओं को नियंत्रित और समझने में सक्षम हो। लक्ष्य सेटिंग एक आवश्यक और व्यावहारिक कौशल है जिसे सभी बच्चों को सिखाया जाना चाहिए। लक्ष्य सेटिंग के कौशल को पढ़ाने में पहला कदम है कि अपने बच्चे को निर्णय लेने का अवसर दें
ज़िमेदारी का एसश दिलाये
जिम्मेदारी का एसश दिलाना हर माता पिता का पहला कर्त्तव्य होता है माता पिता को को अपने बच्चों कोपरवरीश में जिम्मेदारी सिखानी होंगी तभी तो बो अपने अच्छे बुरे का फैसला ले पायेगे
आत्म निर्भर 
माता पिता को बच्चों को आत्म निर्भर बनाना आती आवश्यक होता है। बच्चे  जीवन में बहुत जल्दी सीख लेते हैं कि उन्हें खुद की जरूरतें का ध्यान रखना होगा, तभी उनकी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर होने का डर विकसित नहीं होगा  आत्म निर्भर न होने का डर  बाद के चरण में उनके रिश्तों के लिए यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है। इस लिये बच्चों को आत्म निर्भर बनाये
माहौल बनाये 
                                         Add
बच्चें कम उम्र से जिस माहौल में रहते हैं, उसी माहौल से सामाजिक व्यवहार के बारे में सीखते हैं। माता पिता को इस बात का ध्यान रखना होगा की उनके घर का माहौल कैसा है ।कहि कुछ गलत माहौल तो नहीं है, अगर है तो उस्को सही करना होगा, नही तो उस माहौल का गलत असर आप के बच्चे पर पड़ेगा ,अगर आप चाहते हैं। आपका बच्चों की सही परवरीश हो तो घर का माहौल बदलना पड़ेगा, अगर घर पर उनके साथ हमेशा उपेक्षित व्यवहार किया जाता है, तो दूसरों को अनदेखा करना बच्चे के लिए स्वीकार्य सामाजिक व्यवहार का हिस्सा बन जाता है।
स्वयम को 
स्वयम को वदले 

                                      Add
माता पिता को समय के साथ खुद को भी बदलना पड़ेगा
परवरीश के सही मायने में हमे अपनी आदतों को भी बदलना
होता है। कभी आपने सोचा है ,माता-पिता के लड़ाई झगड़े का बच्चे पर क्या असर पड़ता है. ज्यादातर अभिभावक बच्चों के सामने झगड़ते समय ये जरा भी नहीं सोचते, कि इससे उनके बच्चे को कितना नुकसान पहुंचता है. पति-पत्नी के बीच हल्की नोकझोंक जब बढ़कर झगड़े का रूप ले ले, तो उनकी इस लड़ाई का शिकार सबसे पहले बच्चे बनते हैं. 
इस लिए जब भी आपके बीच लडीई झगड़े हो कोशिश करे आपके बच्चे को इस बात का पता नहो । आपको अपनी सारी बुरी आदतों को छोड़ना
होगा। जैसे की उन बातों को हम निम्न प्रकार से समज सकते है।
(1) घर पर शराब न पीयें और नही पी कर आये 
(2) घर मे हमेशा खुशी का माहौल बनाये रखे 
(3) बात बात पर गुस्सा होना छोड़ दे 
(4)आप को हमेशा अपने माता पिता का आदर समान करना होगा
      तभी आपके बच्चे आपका आदर समान करेगे
नई चुनोतियों का सामना करना
हर माता पिता को अपने बच्चों  को  समय के साथ हर नई  चुनोतियों का सामना करने के लिऐ तैयार करना होगा।हमेेेेशा लाढ प्यार की जगह कुछ
कठनाइयों से लड़ना सीखाना होगा। इस ये फयदा होगा की आपका बच्चा
जिस चीज में माहिर होगा उसके अलाबा वह कोई दूसरा हूनर सीख जाए और ये हूनर उसको आगे चल कर फायदा दे।
दोस्तना व्यबहार
                                            Add
 अधिकतर बढ़ती उम्र में बच्चों की माता पिता से दूरिया बढ़ती चली जाती है
और इस का कारण यह होता है। माता पिता का अपने बच्चों को  पूरी तरह
समय नही दे पाते है। माता पिता जोब और घर के काम मे उलज कर रह जाते
परंतु माता पिता होने के नाते हमे अपने बच्चों को समझना होगा।और उस कारण को पता करना होगा जिस से हमारे बच्चे उम्र के बढ़ने के साथ क्यो  हम से दूर होते जाते हैं।  अगर हम चाहे तो बच्चे कभी भी हम से दूर नही होंगे
परंतु इस के लिये कुछ टिप्स अपना होगा हमे जैसे की
(1) दोस्तना ब्यवहार  बनाना होगा हमे बच्चों के साथ
(2)बच्चों के साथ घर बिज़नेस के हर मुद्दे पर बात करना होगा ।
(3)बच्चों के अच्छे कामो की प्रशंसा के करनी होगी।
(4)बच्चों के द्वारा गलतिया करने पर उन्हें डांटने की बजह प्यार से समजना      होगा और उस गलती को सुधारने का तरीका बताना होगा।
(5)बच्चों के सही गलत के फैसले लेने में मदद करनी होगी
पढ़ाते समय रखे इन बातों का ध्यान
हर पेरेंट्स को अपने बच्चों को पढ़ाते समय कुछ चीजों का रखना होगा ध्यान
                                                    Add
बच्चों को पढ़ाते समय इन चीजों का रखे ध्यान बच्चों को हमेशा
शांति भरे माहौल में पढ़ाये घर के किसी और काम पर अपना ध्यान
नल गये पहले क्या पढ़ना है ।स्याम उस की तैयारी करें। बच्चे का होमवर्क क्या है उसको स्याम न करे अपने बच्चे से करने की कोशिश करे मोबाईल फोन का उपयोग पढ़ाते समय बंद कर दे। किसी अन्य प्रकार की बाते जो आपका और बच्चों का ध्यान भटकती हो उन को बीच मे न लये  इन छोटी छोटी बातों का
अमल कर के बच्चों को अच्छी तरीके से पढ़ा पायेगे।
10 साल तक रखे इन चीजों से बच्चों को दूर
 आम तौर पर बच्चा कई तरह के लोगों और चीजों के संपर्क में आता है. इसमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी जैसी चीजें भी होती है. वह पास-पड़ोस के दोस्तों, स्कूल में टीचर और अन्य लोगों से प्रभावित होता है. अगर आप का नजरिया खुशनुमा होता है, व्यवहार बेहतर होता है, आप समझदार हैं, तो बच्चा सब कुछ छोड़कर आपके पास ही आएगा. आपको ही आदर्श मानेगा.  
 हमेशा खुश रहने की कोश‍िश करें. जब आप खुश होंगे, तो आपके बच्चे का नजरिया भी पॉजिटिव होगा. अगर आप चिंता, तनाव, भय, दुख, ईर्ष्या आदि के भाव से भरे होंगे, तो इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा. इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपका दिल प्रेम व करुणा से भरा होगा, तो आपका बच्चा भी बेहतर इंसान बन सकेगा.

Post a Comment

0 Comments